
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में NDA ने तमिल नेता सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया, जबकि INDIA गठबंधन ने पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला। जानिए चुनावी रणनीति और गठबंधनों की चालें।
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इस बार मुकाबला केवल पद की गरिमा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे क्षेत्रीय और वैचारिक राजनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। सत्ताधारी NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और विपक्षी INDIA गठबंधन ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं और अब यह चुनाव दक्षिण भारतीय राजनीति पर भी बड़ा असर डाल सकता है।
NDA का तमिल कार्ड
NDA ने तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला रणनीतिक है। दरअसल, NDA तमिल राजनीति में DMK और कांग्रेस के प्रभाव को संतुलित करना चाहता है। राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक अनुभव और दक्षिण में उनकी स्वीकार्यता NDA को मजबूत आधार दे सकती है। आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी TDP (तेलुगु देशम पार्टी) ने भी NDA का समर्थन किया है। चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने कहा कि “NDA पूरी मजबूती और एकजुटता के साथ खड़ा है।”
INDIA गठबंधन का तेलुगु दांव
विपक्षी INDIA ब्लॉक ने इस चुनाव को लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की लड़ाई के रूप में पेश किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने घोषणा की कि सभी दलों की सहमति से पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया है। रेड्डी की पहचान ईमानदार और सख्त जज के रूप में रही है। विपक्ष मानता है कि उनकी उम्मीदवारी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजनीति में नई ऊर्जा लाएगी और तेलुगु-भाषी दलों को एकजुट करने में मदद करेगी।
चुनाव का महत्व
यह चुनाव केवल उपराष्ट्रपति चुनने का नहीं है, बल्कि इसमें क्षेत्रीय संतुलन, विपक्ष की एकजुटता और NDA की पकड़ सबकुछ दांव पर लगा है। तमिल बनाम तेलुगु कार्ड ने इस बार की जंग को और दिलचस्प बना दिया है। एक ओर NDA विकास और स्थिरता का संदेश दे रहा है, तो वहीं INDIA गठबंधन इसे लोकतंत्र और सामाजिक न्याय का चुनाव बता रहा है।
नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारतीय राजनीति में नई दिशा तय करने वाला साबित होगा।